Friday, May 2, 2014

Aaj Mausammm... bada..




ये बेखौफ़ सी हवा,
चल रही है यूँ शान से,
जैसे किसी का न डर है इसे,
मद-मस्त सी चाल में,

कभी ठंडी, कभी गरमी,
कभी संग धुल-मिट्टी के,
कभी पानी की बौछारें लिए,
न कोई  ठिकाना इसका,
उड़ती हज़ार फ़साने लिए!!

लहराते सारे पेड़-पौधे,
नाचते हुए हरे पत्ते,
यूँ तो साज़ अलग ही है हवा का,
महफ़िल भी आज कुछ अलग ही सजी है,
दिल के तराने कुछ यूँ छिड़े हैं,
की आँखों में बस ख़ुशी की झलक है!!

जादू कहलो इसे मौसम का,
या समझलो कोई शरारत,
नाम न लो बस अब उल्फत है,
की अब तो है बस दिल में मोहब्बत!!



                                             -गुंजन



Wednesday, April 9, 2014

Sapne !!





अभी सजा लिए हैं,
          
         इन आँखों में न जाने कितने सपने !!

कोशिश में लगे हैं,

         कि कब हो जाएँ  ये सपने सारे अपने  !!