उफ्फ ही है बारिश आज तो, कभी गिरती सी कभी संभलती सी, कभी गरजती सी कभी बरजती सी.. कभी भिगाए आसमान को तो कभी इन सुनसान सड़कों को भी.. नज़ारा आज ऐसा भी होगा जब भिगाएगी बारिश अपनी बूंदों को भी.. कुछ इस कदर चांद भी साथ देगा की शर्मा जाएंगी एक एक छींट भी.. छुप के देखना ताकेंगी ज़रूर कभी पत्तों में छुपके तो कभी मुंडेर पे लटक के.. यूं मुस्कुराएगा चांद भी जैसे उसकी चकोर हो.. यूं ही मुस्कुराइए आप भी जैसा आपका हमसफ़र हो.. !!
- गुन्जन
- गुन्जन