Friday, July 24, 2009

एक दिन...!!!

एक झोंका हवा का आयेगा,
उड़ाके मुझे ले जायेगा,
मैं सोचती ही रह जाउंगी,
ज़िन्दगी को खूबसूरत बना जायेगा

एक दिन फिर ऐसा आयेगा,
जब ज़िन्दगी का हर लम्हा मुझे रास आयेगा,
याद भी करना चाहूंगी कोई दुःख,
तो याद मुझे न आयेगा

जीऊँगी मैं without any दुःख,
ज़िन्दगी में होगा सिर्फ सुख ही सुख,
भूल कर अपने सारे गम,
कर दिखाउंगी कुछ adventurous fun..!

Wednesday, July 22, 2009

बनते बिगड़ते रिश्ते !

कोई किसी के नज़दीक आने से बहुत खुश है,
उसको ये अंदाजा नहीं कि अपनों से वो कितना दूर हो गया है,
अभी ज़िन्दगी उसको खूबसूरत लग रही है,
उसको इल्म भी नहीं कि वो कहाँ जा रहा है

Sunday, July 19, 2009

तुमसे है इकरार...!

कुछ है तुमसे कहना मगर शब्द अनजान हैं,
ये सीधा सा सच है हो गई है मोहब्बत ये दिल फिर भी नादान है,
हरसू में बेताबी बस सपनो में अब जान है,
सुलझी सी ये उलझन सामने रास्ता है कदम है की बढ़ते नहीं,
कैसे कहें -
"तुमसे है इकरार करनी थी दो बातें,
एक तो कुछ ऐसा है अच्छे तुम लगते हो,
दूजी गुजारिश है बन जायो साथी मेरे |

तुमको मिलने से पहले भी भीगे थे हम,
पर इस बार भीगा है मन,
कितने सावन हैं देखे पर इस बार देखो खूबसूरत है इतना जहान,
साज़ ही तुम, गीत हो तुम मेरा, धुन हो ऐसी जो गाती रहूँ,
धीमी सी आंच हो तुम सौंधी मिट्टी की खुशबू मदहोश एहसास हो,
कैसे कहें -
"तुमसे है इकरार करनी थी दो बातें,
एक तो कुछ ऐसा है अच्छे तुम लगते हो,
दूजी गुजारिश है बन जायो साथी मेरे |

Friday, July 17, 2009

नया बदलाव...नयी राह..!!!

घर से थोडा दूर हूँ मगर,
यहाँ दोस्तों का साथ है,
पैसा चंद ही है मगर,
life एकदम बिंदास है

thankyou ऐ खुदा,
जो था माँगा वो है दिया,
वरना घर और college में,
रह गई थी बंध कर तेरी ये jiya.

काम तो है यहाँ,
पर थोडा TT भी है,
lunch की कोई फिक्र नहीं,
travel desk तो अपनी ही है

office hours में हैं थोडी सी बंदिश,
करने हैं test case आज ही finish,
कहने को तो dress code है यहाँ,
पर वो rule ही क्या जिसको तोडा न हो गया

time से office मैं आती हुं,
time से घर को जाती हुं,
office की थकान के बाद,
घर जाकर आराम फरमाती हुं

काम तो करते हैं सभी,
पर chatting भी चलती रहती है,
जय हो google महाराज की,
वरना कैसे कर पाते हम इतनी मस्ती

चाय भी मिलती है यहाँ,
buscuits की भी नहीं कोई कमी,
cold drinks की कमी खलती है पर,
ice cream पूरी कर देती है वो कमी

first floor पर है अपनी seat,
cubical colour लगता है nice,
सभी यहाँ पर अच्छे हैं,
everyone seems to be very wise.

ये है नया बदलाव,
यही है नयी राह,
और यही है मेरा office,
चलिए ab इजाज़त दीजिये,
फिर मिलेंगे, अभी के लिए खुदा हाफिज़

Thursday, July 16, 2009

क्या लिखूं, क्या न लिखूं....!!!

क्या लिखूं, क्या न लिखूं,
कुछ लिखने को दिल चाहता है,
पर अल्फाज़ हैं की जुटाने मुश्किल हैं,
इस एहसास को पन्नो पर कैसे उतारूँ |

Bangalore.. इक अलग शहर ,
कब कैसा मौसम हो जाए कोई खबर नहीं
यहाँ के लोग.. बहुत helpful,
यहाँ के life.. एकदम बिंदास |

जो भी यहाँ आया,
यहाँ के मौसम पर फ़िदा हो गया,
यहाँ का मौसम सुभान-अल्लाह,
ऐसा.....की दिवाना बना दे |

Bangalore में जो आएगा,
उसको मेरी बातों में सच नज़र आएगा,
कभी भरी भीड़ में खुद को अकेला,
और कभी अकेले में अपने को महफूज़ पायेगा |

घर से जब निकली थी तो एक दर था,
घर वालों ने खूब हौसला बढाया,
लौटने वाली थी घर को वापस,
तभी Infosys के offer-letter ने वापस बुलाया |

कोई तो बात है,
ज़रूर कोई राज़ है,
न जाने कैसी कहानी है,
न जाने क्या सिलसिला है |

लगने लगा है अपना सा,
ये अजनबी शहर अब,
कोई तो बात ज़रूर है,
इसमें कुछ तो राज़ है ||

बारिश का मौसम...!!!

मुझे इतना प्यार देकर,
सदा मेरे साथ न जाने कौन है रहता,
लगता है एक स्पर्श कुछ जाना-पहचाना,
न जाने बारिश का है या तुम्हारा |

लगता है जैसे बारिश पूछ रही है की क्या मैं तुम्हारे लिए बरसूँ,
बारिश की बूँदें होंठों पर हंसी बनके बरसती हैं,
ये बारिश की बूँदें है या तुम्हारी मुस्कुराहटें हैं,
जो बरस-बरस कर आत्मा की गहराई तक पहुँच रही है |

आसमान से गिरती ये बारिश की बूँदें,
जैसे मेरा इंतज़ार करती ये बूँदें,
धरती से मिलने को बेकरार ये बूँदें,
मिट्टी में मिलकर खुशबू बिखेरने को तैयार ये बूँदें |

तेजी से बरसता पानी अब मुझे भीगा रहा है,
छतरी के नीचे जाने से अब ये दिल घबरा रहा है,
न जाने ये दिल कब हस्ता है और कब रोता है,
ख़ुशी हो या गम .. अब तो मन भीगने का होता है |

दिल पर छा रहें हैं ये काले-काले बादल,
बरस रहा है रिमझिम-रिमझिम सावन,
लगता है जैसे कुछ पीछे रह गया है,
अब तो सता रहा है जैसे हर पल |

जानती हूँ कुछ शिकायतें हैं तुम्हारी,
उन्हें दूर करने की कोशिश में मैं यहाँ आई थी,
क्यूँ तुम दूर चले गए बिना कुछ सुने,
मैं तो भीगते हुए यहाँ तक आई थी |

ये बारिश का गीला स्पर्श मुझे बहुत पसंद है,
धीरे धीरे जैसे ये हाथों से दूर जा रहा है,
बारिश की बूंदे अपने साथ सारे गम भी ले जायेंगी,
पर अब ये दिल उन गुमों से नहीं बिछड़ना चाहता है |

एक अनजाना सा एहसास दिल को सता रहा है,
क्या जाने अब शायद कोई बुला रहा है,
मिलना और बिछुड़ना तो ज़िन्दगी का दस्तूर है,
फिर भी न जाने क्यूँ ये दिल घबरा रहा है |

इस बारिश ने आज मुझे एहसास कराया,
इतनी देर तक जब उसने मुझे भिगाया,
जब बिछड़ने का समय आया तो समझ में आया,
की ये प्यार किसी और पर नहीं सावन पर है आया ||

बिखरे पन्ने !!!

पन्ने तो समेट लें हम,
पर उन्हें लगाये कैसे,
ज़िन्दगी की गहराई तो समझ लें हम,
पर उन पन्नों की किताब बनायें कैसे..??