मुझे इतना प्यार देकर,
सदा मेरे साथ न जाने कौन है रहता,
लगता है एक स्पर्श कुछ जाना-पहचाना,
न जाने बारिश का है या तुम्हारा |
लगता है जैसे बारिश पूछ रही है की क्या मैं तुम्हारे लिए बरसूँ,
बारिश की बूँदें होंठों पर हंसी बनके बरसती हैं,
ये बारिश की बूँदें है या तुम्हारी मुस्कुराहटें हैं,
जो बरस-बरस कर आत्मा की गहराई तक पहुँच रही है |
आसमान से गिरती ये बारिश की बूँदें,
जैसे मेरा इंतज़ार करती ये बूँदें,
धरती से मिलने को बेकरार ये बूँदें,
मिट्टी में मिलकर खुशबू बिखेरने को तैयार ये बूँदें |
तेजी से बरसता पानी अब मुझे भीगा रहा है,
छतरी के नीचे जाने से अब ये दिल घबरा रहा है,
न जाने ये दिल कब हस्ता है और कब रोता है,
ख़ुशी हो या गम .. अब तो मन भीगने का होता है |
दिल पर छा रहें हैं ये काले-काले बादल,
बरस रहा है रिमझिम-रिमझिम सावन,
लगता है जैसे कुछ पीछे रह गया है,
अब तो सता रहा है जैसे हर पल |
जानती हूँ कुछ शिकायतें हैं तुम्हारी,
उन्हें दूर करने की कोशिश में मैं यहाँ आई थी,
क्यूँ तुम दूर चले गए बिना कुछ सुने,
मैं तो भीगते हुए यहाँ तक आई थी |
ये बारिश का गीला स्पर्श मुझे बहुत पसंद है,
धीरे धीरे जैसे ये हाथों से दूर जा रहा है,
बारिश की बूंदे अपने साथ सारे गम भी ले जायेंगी,
पर अब ये दिल उन गुमों से नहीं बिछड़ना चाहता है |
एक अनजाना सा एहसास दिल को सता रहा है,
क्या जाने अब शायद कोई बुला रहा है,
मिलना और बिछुड़ना तो ज़िन्दगी का दस्तूर है,
फिर भी न जाने क्यूँ ये दिल घबरा रहा है |
इस बारिश ने आज मुझे एहसास कराया,
इतनी देर तक जब उसने मुझे भिगाया,
जब बिछड़ने का समय आया तो समझ में आया,
की ये प्यार किसी और पर नहीं सावन पर है आया ||