Wednesday, August 5, 2009

मंजिल और रास्ते...!!

मंजिल तो एक ही मगर,
रास्ते कई सारे हैं,
किस रास्ते पर चलें हम,
इसी फैसले से हम तो हारे हैं!!

ऐ खुदा..! अब तू ही बता,
ये क्या अजब कहानी है?
रास्ते नए हैं मगर,
मंजिल वही पुरानी है !!

क्या हुआ गर अकेले हैं हम,
ये सारी दुनिया एक दिन हमे जानेगी,
अभी ज़रूर दुनिया में पीछे हैं हम,
एक दिन दुनिया हमे हमारे नाम से पहचानेगी!!

हर एक रास्ते में गड्ढे हैं,
पर गड्ढों को नज़र-अंदाज़ करना है,
चलते जाना है उसी रास्ते पर,
और जाकर आसमान को छूना है!!

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