न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
बदल रही है ज़िन्दगी, बदल रहे हैं हम,
थिरक रहे न जाने आज क्यूँ मेरे कदम... मेरे कदम...मेरे कदम...
किसी को हो न हो मगर हमे तो है पता..
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
घुली सी आज साँसों में किसी की सांस है...सांस है...सांस है...
ये कौन आज दिल के मेरे आस-पास है...
ये धीरे धीरे हो रहा है प्यार का नशा...
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...कहा...कहा...कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...लगा...लगा...लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
ये लग रहा है साड़ी उलझाने सुलझ गई...सुलझ गई...सुलझ गई...
ये धडकनों की बात धड़कने समझ गई...
न बोलिए की बोलने को कुछ नहीं रहा...
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
बदल रही है ज़िन्दगी, बदल रहे हैं हम,
थिरक रहे न जाने आज क्यूँ मेरे कदम... मेरे कदम...मेरे कदम...
किसी को हो न हो मगर हमे तो है पता..
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
घुली सी आज साँसों में किसी की सांस है...सांस है...सांस है...
ये कौन आज दिल के मेरे आस-पास है...
ये धीरे धीरे हो रहा है प्यार का नशा...
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...कहा...कहा...कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...लगा...लगा...लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...
ये लग रहा है साड़ी उलझाने सुलझ गई...सुलझ गई...सुलझ गई...
ये धडकनों की बात धड़कने समझ गई...
न बोलिए की बोलने को कुछ नहीं रहा...
न बोले तुम न मैंने कुछ कहा... कहा...
मगर न जाने ऐसा क्यूँ लगा... लगा...
की धुप में खिला है चाँद, दिन में रात हो गई...
की प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई...