Sunday, September 25, 2011

Yaad hai...

याद है...
वो पुराने दिन,

भाई के पास
राखी के दिन
राखी के साथ
बहना का ख़त आया करता था?

याद है...

उस ख़त में लिखी बातें,
बहना का भाई के लिए प्यार..?

याद है...

जब राखी से ज्यादा
भाई को,
साथ भेजे ख़त का इंतज़ार रहता था..?

वो पुराने दिन,
और उनकी सादगी,
सादगी में लिपटी वो अनोखी मस्ती भरी ताज़गी!!

अब तो बस e-mail आ जाता है,
ख़त की जगह letter आता है!!
जिसमे...
बहन से ज्यादा postman लिख देता है...
लम्बा-चौड़ा address!!

ज़िन्दगी बड़ी plastic होती जा रही है,
कुछ दिन में..
आंसुयों के भी,
sticker आने लगेंगे...

ये दिल अभी भरा नहीं..!!!

अभी न जाओ छोड़ कर..
की.. दिल अभी भरा नहीं..

अभी न जाओ छोड़ कर..
की.. दिल अभी भरा नहीं..

अभी अभी तो आये हो.. अभी अभी तो..
बहार बन के छाये हो..
हवा ज़रा महक तो ले,
ये दिल... ज़रा बहक तो ले..

ये शाम ढल तो ले ज़रा...

ये शाम ढल तो ले ज़रा,
ये दिल संभल तो ले ज़रा..

मैं थोड़ी देर जी तो लूँ,
नशे के धूंट पी तो लूँ..

अभी तो कुछ कहा नहीं,
अभी तो कुछ सुना नहीं..

अधूरी आस छोड़ के,
अधूरी प्यास छोड़ के,
जो रोज़ यूँ ही जाओगे..
तो किस तरह निभाओगे..

बुरा न मानो बात का,
ये प्यार है गिला नहीं..

अभी न जाओ छोड़ कर..
की.. दिल अभी भरा नहीं..

हाँ... ये दिल अभी भरा नहीं..

:)