Saturday, June 1, 2019

खयाल...

ख़यालो का पिटारा
अक्सर मशगूल रहता है
अनगिनत एहसासों से
जो जुड़े होते हैं हमारी
खुशियों से गम से
चिंताओं से 
तो कभी इरादों से

छोटे से बच्चे से हैं ये खयाल
जब तक सोते नहीं
तब तक रुकते नहीं
लाख चुप करालो
शांत होते ये नहीं

कभी नरम तो कभी सख्त होते हैं
दिल की उधेड़बुन में ये खयाल 
बिजली के तारों सा उलझे
तो कभी रेत सा सुलझे होते हैं

रोज़ाना मिलने आते हैं
मुझे मुझसे हर बार मिलाते हैं
कभी कभी परेशान करते हैं
पर ये खयाल मेरा खयाल रखते हैं

- गुन्जन

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