Sunday, May 26, 2019

और फिर बारिश...

जब भी आती है
दिल में बस जाती है
क्या ये बारिश
आपको भी भाती है?

छलकती सी बूंदें
जाने कितने ही लम्हे छेड़े
क्या बीते लम्हों की झलकियां
आपको भी भाती हैं?

हल्के ठंडे से झोंके
गुजरते हैं रूह से होके
क्या वो भीनी सी मुस्कान
आपको भी भाती है?

भिगोती सर्द बूंदें तन को
रोंगटे से खड़े हो जाएं
मीठी सी गु द गुदाती ठंडक
आपको भी भाती है?

गीली जगमगाती सड़कें
चांद की चांदनी में
सुंदर सी शांत सी वो सैर
आपको भी भाती है?

जब भी आती है
दिल में बस जाती है
क्या ये बारिश
आपको भी भाती है?

- गुन्जन

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