इस उलझी सी दुनिया में
सुलझा सा सिर्फ एक रिश्ता
क्या मुमकिन है?
क्या चार दिवारी में
इन्ही उलझनों में रहना
इतना लाज़मी है?
काश तुम समझ पाते
हमारी दुनिया में
उलझनों के लिए जगह नहीं।
काश ये जान पाते
बातों को परेशानियों का मोड़ देना
कितना आसान होता है।
काश मैं समझा पाती
बगैर आइने के भी
ज़िन्दगी खूबसूरत लगती है।।
Nicely written, loved it..
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