चल! खुशियों का बिछौना बिछाए,
दो बातों के तकिये लगाए,
आसमान की चादर ओढ़े,
चाँद तारों से गप्पे लड़ायें!
चार coffee के कप लगाएं,
उनमें चम्मच ग़ज़ल की घुमाएं,
घूँट-घूँट हर किस्सा सुनाएँ,
चल, खुशियों का बिछौना बिछायें!
हसी-ठिठोली की maje पर,
चलो कुछ यादें सजाये,
मुस्कुराहटों का छाता लेकर,
चलो हम सब भीग जाएँ!
कैद कर कुछ पल मुट्ठी में,
लम्हों को आईना दिखलायें,
दीवारे पे पड़ी bulb की रौशनी में,
चल कुछ और पल बनायें!
पंखे की रफ़्तार को थामे,
अब एक नई नज़्म बनाये,
दो बातों के तकिये लगाएं,
चल, खुशियों का बिछौना बिछाएं!
- गुन्जन
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