मैं जो दुनिया का चेहरा निहारूँ
उनको ही पाऊँ ..
पर वो जब भी मेरी ओर देखें
चेहरा छुपाऊँ
ख़्वाबों में हाँ
मेरे खुदा
रंग भर रहे हैं
उनका जूनून
और मेरी जान
इक कर रहे हैं ..
हाये .. लुटने में कितना मज़ा है
कैसे बताऊँ
देखूं खुद को तो जैसे
और है कोई
मेरे अल्बेलिया, तू खेलिया
झूठी मैं झूठी ठहरी
तू सही सही
मेरे अल्बेलिया, तू खेलिया
A kailash kher song... Beautiful it is! :)
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