राधा क्यूँ गोरी मैं क्यूँ काला
पूछे मैया से नटखट नन्द-लाला
मैं डालूँगा उसपे रंग-गुलाल
रंग दूंगा उसे मेरे रंग में आज
मारूंगा रंग-भरी पिचकारी
नाचेगी मेरी राधा प्यारी
कान्हा की बंसी, राधा का प्यार
खूब उडाओ मिलकर रंग-गुलाल
नीला, पीला, लाल, गुलाबी
सबको रंग दो बारी बारी
मौसम हुआ सा है बसंती
खाओ गुझिया, चाट और टिक्की
रंग-भरी पिचकारी बोली
सबको रंग दूँ, कि आई होली।।
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