Thursday, April 4, 2013

बारिश की बूँदें अक्सर ...




बारिश की बूँदें अक्सर
मुझे मुस्कान दे जाती हैं
कुछ अपनों के साथ
गुज़रे पल याद कराती है
पत्तों से टपकती बूंदे 
सड़क पर पड़े पानी में
अक्सर डूबा करती है
डूब कर जैसे वो
घुलमिल जाती है
उससे मुझे मेरा
बचपन याद कराती है
झिलमिल झिलमिल
सी बरसात
जैसे मुझे अपने
पास बुलाती है
भीग जाऊं मैं उसमें
धीमे से कह जाती है
जीत जाऊँ आज ही उसे
मुझे में एहसास जगाती है
दो पल का संग देकर
खुशियों से आँचल
मेरा भर जाती है
बूंदे जब छलकती हैं
बहुत प्यारी लगती हैं
टिमटिमाती रौशनी में
नया ख्वाब सा
सजाती है
कभी तन्हाई में
साथ देती हैं
फिर महफ़िल में
रंग भर देती है
एक प्याला चाय
हो जाए
हर दिल में
ये उमंग भर देती है
नए सपने सजाती है 
कुछ अपने बनाती है
उन अपनो के साथ
फिर कुछ नए पल 
बनाती है
लम्हों को कुछ
हसीन सा रुख दे जाती है
तुमसे मैं क्या कहुं
ख़ामोशी जब सब कुछ
कह जाती है
तेरा भीगा सा चेहरा
बालों से टपकती
वो छोटी छोटी बून्दे
ठण्ड में तेरा 
काँपता सा बदन
कुछ इशारे-बाजी करती हुई
प्यार भरी तेरी नज़र
यूँ तो नज़र-अंदाज़
नहीं कर सकती मैं
यूँ तन्हा नहीं कर सकती
ये महफ़िल
जहाँ बस तू है
तू है तेरे साथ ये बून्दे हैं
बून्दों के लिपटा
मेरा हमसफ़र
मुझे  निहार रहा है
कैसे ना मैं
हार जाऊँ
क्यूँ ना मैं
हार जाऊं
यही तो वो पल है
यही तो मेरी महफ़िल है
यही तो मेरी ज़िन्दगी है
जिसे मैं हर पल
जीना चाहती हूँ
जिसे मैं हर पल
हसना चाहती हूँ
मेरा मन हर पल
तुमसे यही कहना चाहता है
की अब आ जाओ
अब आ भी जाओ
तुम्हे ये हर पल बुलाता है





















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